अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन
अलीगढ़ 20 अप्रैल: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय मलप्पुरम केंद्र, केरल के विधि विभाग ने विधि अध्ययन परिषद, अध्ययन एवं अनुसंधान केंद्र (सीएसआर), नई दिल्ली के सहयोग से ‘समीक्षा एवं सुधार: भारतीय विधि व्यवस्था में औपनिवेशिक विरासत की खोज’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया।
अपने ऑनलाइन उद्घाटन भाषण में मुख्य अतिथि प्रोफेसर फैजान मुस्तफा, कुलपति, चाणक्य विधि विश्वविद्यालय, पटना ने इस बात पर जोर दिया कि औपनिवेशिक आक्रमण एक वरदान है, क्योंकि अंग्रेजों ने हमें ऐसे कानून दिए जो उनके अपने सामान्य कानून से बेहतर हैं और आईपीसी 1860, सीआरपीसी 1973 और आईईए 1872 उत्कृष्ट संहिताएं हैं।
उन्होंने कहा कि विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, बाल विवाह निरोधक अधिनियम, कन्या भ्रूण हत्या रोकथाम अधिनियम जैसे कई अधिनियमों को औपनिवेशिक विरासत का वरदान बताया गया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कानूनों का सुधार संवैधानिक कानूनों के अनुरूप होना चाहिए, क्योंकि आपराधिक कानून का उद्देश्य अधिकतम अच्छाई और न्यूनतम दुख है।
मुख्य वक्ता डॉ. के.सी. सनी ने जोर देकर कहा कि सुधार लाते समय प्रौद्योगिकी और विकास के साथ समकालीन मूल्यों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। उन्होंने नए सुधारों को "नई बोतल में पुरानी शराब" बताते हुए ब्रिटिश काल में न्यायालयों की संस्था के इतिहास पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि सुधारों को संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप होना चाहिए और उनकी कसौटी मानवाधिकार होनी चाहिए।
अध्ययन एवं अनुसंधान परिषद के निदेशक श्री रिजवान ने सीएसआर का परिचय प्रस्तुत किया और प्रति व्यक्ति ज्ञान उत्पादन में वृद्धि करके शिक्षा को उद्देश्यपूर्ण, गैर-अनिच्छुक और मूल्य-उन्मुख बनाने के संगठन के उद्देश्यों को रेखांकित किया।
केंद्र के निदेशक डॉ. फैसल केपी ने कार्यक्रम में शामिल होने में रुचि रखने वाले प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
इससे पहले अतिथियों का स्वागत करते हुए सम्मेलन सचिव और पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. शाहनवाज अहमद मलिक ने सेमिनार की विशेषताओं पर चर्चा की। डॉ. नसीमा पीके ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।
इस अवसर पर सीईआरटी द्वारा प्रकाशित पुस्तक "सर्च एंड सीजर ऑफ इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज: ए ब्रीफ एक्सप्लेनर ऑन एक्जिस्टिंग लॉज एंड प्रपोज्ड चेंजेस" का भी विमोचन किया गया।
चार तकनीकी सत्रों में आयोजित इस सेमिनार में शोधपत्रों की प्रस्तुति और मुख्य विषय के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई।
समापन सत्र की अध्यक्षता एएमयू के विधि विभाग के अध्यक्ष डॉ. मोहम्मद अशरफ ने वर्चुअल मोड में की, जबकि प्रोफेसर शकील अहमद ने दंड-उन्मुख उपायों की तुलना में सुधारात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया।
डॉ. इमैनुएल ट्वेनेबोआ सेनज़ू (प्रोफेसर, विधि और अर्थशास्त्र, एवरी नेशन कॉलेज, पश्चिम अफ्रीका) ने आर्थिक नीति में कानूनी प्रणालियों के महत्व, विशेष रूप से अफ्रीका के साथ भारत की व्यापारिक साझेदारी और औपनिवेशिक विरासत के प्रभाव पर चर्चा की।
इससे पहले, डॉ. आमिर यूसुफ वाघई ने स्वागत भाषण दिया और सहायक रजिस्ट्रार श्री मोहम्मद अहज़म खान ने अभिनंदन भाषण दिया।
सीएसआर के निदेशक श्री रिजवान ने सेमिनार रिपोर्ट प्रस्तुत की, जबकि डॉ. शाहनवाज़ अहमद मलिक ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय